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यूपीसीएल ने दी बड़ी राहत निगम पर निरंतर बढ़ रही देनदारी, अब 5000 करोड़ रुपये हुआ बकाया

UPCL यूपीसीएल ने बड़ी राहत दी है । उत्तराखंड के 24 लाख बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर अब भार नहीं पड़ेगा। बढ़ते बकाया के कारण उपभोक्ताओं पर टैरिफ बढ़ने का खतरा था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि इस प्रकरण के समाधान के लिए देनदारी को छोटे-छोटे हिस्से में विभाजित किया जाएगा।

ऐसे में प्रदेश के 24 लाख उपभोक्ताओं पर टैरिफ बढ़ने का खतरा बढ़ने के बाद फार्मूला तैयार किया है। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया है कि इस देनदारी के कारण उपभोक्ताओं पर भार बढ़ने नहीं दिया जाएगा। ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने इस निर्णय की पुष्ट की।
ऊर्जा निगम विद्युत टैरिफ के रूप में सरचार्ज और कर की वसूली उपभोक्ताओं से कर रहा है, लेकिन इसे राजकोष में जमा नहीं कराया जा रहा है। यह देनदारी अब बढ़कर लगभग 5000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। वित्त विभाग की ओर से देनदारी को लेकर कई बार विभाग और ऊर्जा निगम को रिमाइंडर भेजे जा चुके हैं।
निगम पर यह देनदारी अलग उत्तराखंड राज्य के गठन से ही है। राज्य बनने के समय उत्तराखंड ऊर्जा निगम के हिस्से में परिसंपत्तियों और देनदारी के रूप में एक हजार करोड़ से अधिक आए। इनमें से 550 करोड़ की परिसंपत्तियों का प्रकरण अभी सुलझ नहीं सका है। इन परिसंपत्तियों के समायोजन पर निगम जोर देता रहा है, लेकिन वित्त ने इस पर अभी तक सहमति नहीं दी है। परिणामस्वरूप यह देनदारी प्रति वर्ष बढ़ रही है।
देनदारी बढ़ने से ऊर्जा निगम की ओर से निर्धारित किए जाने वाले विद्युत टैरिफ पर इसका प्रभाव पड़ने का अंदेशा है। वित्त से सहमति नहीं मिलने की स्थिति में देनदारी को लेकर निगम को उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के समक्ष दस्तक देनी होगी। यद्यपि, इस प्रकरण पर सरकार बीच-बीच में हस्तक्षेप करती रही है। इस कारण विद्युत टैरिफ नहीं बढ़ सका है।
इस मामले में हाल ही में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम और वित्त सचिव दिलीप जावलकर के साथ बैठक की। बैठक में मुख्य सचिव ने समस्या का समाधान निकालने के निर्देश दिए। इस प्रकरण को ऊर्जा निगम आडिट कमेटी को भेजा गया है। आडिट कमेटी के अध्यक्ष व सेवानिवृत्त आइएएस बीपी पांडेय ने इस संबंध में निगम के अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की।
ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि इस प्रकरण के समाधान के लिए देनदारी को छोटे-छोटे हिस्से में विभाजित किया जाएगा। इससे भुगतान को लेकर निगम पर बोझ नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण का प्रभाव विद्युत टैरिफ पर पड़ने नहीं दिया जाएगा।

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