उत्तराखंड में खुले धार्मिक स्थल, नियमों के साथ मिलेगा श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश
देवभूमि उत्तराखंड में धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुल गए हैं। धर्मनगरी हरिद्वार और तीर्थनगरी ऋषिकेश समेत अन्य शहरों में नियमों के साथ ही श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है। हालांकि, पहले दिन हरकीपैड़ी समेत अन्य जगहों पर भीड़ नजर नहीं आई। सीमित संख्या में ही श्रद्धालु दर्शनों को पहुंचे। वहीं, सरकार ने चारधाम यात्रा का जिम्मा चारधाम देवस्थानम बोर्ड पर छोड़ दिया है। बोर्ड संबंधित जिला प्रशासन और हक-हकूकधारियों से बातचीत करने के बाद सशर्त चारधाम यात्रा को खोलने के संबंध में निर्णय लेगा। इस दौरान आमजन के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए उचित एहतियाती कदम उठाए जाएंगे। दर्शन और पूजा के लिए भी प्रोटोकॉल तय किया जाएगा।
उत्तराखंड में देहरादून नगर निगम क्षेत्र और विभिन्न जिलों में सभी कंटेनमेंट जोन को छोड़ शेष प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते बंद धार्मिक स्थलों में करीब ढाई महीने बाद गतिविधियां शुरू हो गई हैं। हरिद्वार में हरकी पैड़ी के अलावा मंसा देवी, चंडी देवी, माया देवी, बिल्केश्वर महादेव, दक्षेश्वर महादेव आदि मंदिरों को सैनिटाइज करने के साथ ही यहां पूजा अर्चना के लिए विशेष तैयारी की गई है। मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं को शारीरिक दूरी समेत अन्य मानकों का कड़ाई से पालन कराने के लिए मंदिर समितियों की ओर से विशेष इंतजाम किए गए हैं। बगैर मास्क श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।
हरकी पैड़ी पर फिर शुरू होगी गंगा आरती
हरकी पैड़ी पर आधिकारिक रूप से अभी कोई भी धार्मिक कर्मकांड आरती, शुरू नहीं हुई है। इसकी वजह जिलाधिकारी हरिद्वार के जरिए अभी तक इस मामले में गाइडलाइन का जारी न किया जाना बताया जा रहा है। हालांकि स्थानीय लोगों ने हर की पौड़ी पर पहुंचकर इस स्नान करना शुरू कर दिया है। पर इनकी संख्या बेहद सीमित है।
श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि जिलाधिकारी की ओर से गाइडलाइन जारी न होने के कारण हरकीपैड़ी पर सुबह के वक्त पहले की तरह प्रतीकात्मक पूजा अर्चना की की गई। उन्होंने कहा कि गाइडलाइन जारी होने के बाद इसे विस्तृत रूप से किया जाएगा। वहीं, हरकी पैड़ी पर शाम पांच बजे विशेष गंगा पूजन का आयोजन रखा गया है। हरकी पैड़ी की प्रबंध कार्यकारिणी संस्था श्री गंगा सभा के पदाधिकारी इस विशेष गंगा पूजन के साथ गंगा आरती का दोबारा सार्वजनिक शुभारंभ करेंगे।
नियमों के साथ मंदिर में प्रवेश
रुड़की में मंदिर समितियों ने सभी मंदिरों में लगे घंटों को कपड़े से बांधा हुआ है, जिससे कि कोई भक्त इन्हें छूए न। सोमवार को मंदिरों के खुलने पर अभी कम संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। साकेत स्थित दुर्गा चौक मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित जगदीश प्रसाद पैन्यूली और रामनगर स्थित राम मंदिर के पंडित कैलाश चंद्र शास्त्री ने बताया कि अभी एक-एक कर ही श्रद्धालु दर्शनों को पहुंच रहे हैं। इस दौरान श्रद्धालुओं को न तो मंदिर में प्रसाद चढ़ाने की अनुमति है और न ही देवी-देवताओं की प्रतिमा को छू सकते हैं। इसके अलावा शारीरिक दूरी का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है।
गंगा दर्शन को पहुंचे श्रद्धालु, बैरिकेडिंग ने रोकी राह
ऋषिकेश में भी अनलॉक-वन में मंदिर खोल दिए गए हैं। मंदिरों में कम संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। श्रद्धालुओं को उम्मीद थी कि उन्हें गंगा दर्शन और पूजन का मौका मिलेगा। पर पुलिस प्रशासन के के जरिए त्रिवेणी घाट जाने वाले मुख्य रास्ते को अभी तक बंद रखा गया है। यहां बैरिकेडिंग लगाई गई है। कई लोग गंगा दर्शन के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें वापस लौटना पड़ा। त्रिवेणी घाट चौकी प्रभारी उत्तम रमोला ने बताया कि उप जिलाधिकारी के स्तर पर गाइड लाइन जारी होने के बाद ही त्रिवेणी घाट श्रद्धालुओं के लिए खोला जाएगा। यहां के प्रमुख मंदिर खुल गए हैं। मुख्य रूप से चंद्रेश्वर महादेव, सोमेश्वर महादेव, वीरभद्र महादेव, श्री मधुबन आश्रम मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए खुले हैं।
बंद रहे मंदिरों के कपाट, वापस लौटे श्रद्धालु
देहरादून नगर निगम क्षेत्र में अधिकांश मंदिरों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद रहे। मंदिर पहुंचे भक्तों को वापस लौटना पड़ा। वहीं, निगम क्षेत्र से बाहर मन्दिरों में शरीरिक दूरी बनाकर, सैनिटाइजिंग और मास्क पहने भक्तों को प्रवेश दिया गया। कैंट क्षेत्र के टपकेश्वर महादेव मंदिर में सीमित संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और दर्शन किए। सिद्धपीठ डाटकाली मंदिर में पहुंचे श्रद्धालुओं ने शारीरिक दूरी बनाकर माथा टेक मन्नत मांगी। वहीं, शहर में स्वर्गापुरी मंदिर निरंजनपुर, आदर्श मंदिर, श्यामसुंदर मंदिर पटेलनगर, कालिका माता मंदिर अंसारी मार्ग, हनुमान मंदिर, पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर सहारनपुर चौक पर सुबह श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचे, लेकिन कपाट बंद होने के चलते बाहर माथा टेक वापस चले गए।
मंदिर संचालन समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि देर शाम तक सरकार के फैसले का इंतजार करते रहे, निगम क्षेत्र में धार्मिक स्थल दर्शन के लिए न खोलने के आदेश देर रात को मिले। देर रात को आए फैसले के कारण सुबह मंदिर पहुंचे कई श्रद्धालुओं को इस बारे में पता चला। इसके बाद मंदिर के गेट पर माथा टेककर वे वापस चले गए।