उत्तराखण्ड

शराब पर भी कोविड टैक्स लगाने के तैयारी, दामों में 50 से 60 फीसद तक की बढ़ोतरी

दिल्ली की भांति उत्तराखंड में भी शराब पर कोविड टैक्स लगाने के तैयारी है। इसके लिए शराब के दामों में 50 से 60 फीसद तक की बढ़ोतरी की जा सकती है।

सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने देर रात जागरण से बातचीत में कहा कि सरकार इस संबंध में विचार कर रही है। एक-दो दिन में इस संबंध निर्णय ले लिया जाएगा। लॉकडाउन में 40 दिन बाद मिली छूट के दौरान सोमवार को उत्तराखंड में सभी जगह शराब की दुकानों में लंबी कतारें लगीं रहीं। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार अब दिल्ली सरकार की तरह यहां भी शराब पर कोविड टैक्स लगाने की तैयारी में है। इससे जहां शराब की कीमतों में बढ़ोतरी होगी, वहीं दुकानों में भीड़ भी कम होगी। सरकार का मानना है कि इससे राजस्व में भी इजाफा हो सकता है।

गौरतलब है कि वर्तमान में प्रदेश में शराब की 628 दुकानें स्वीकृत हैं। इस वित्तीय वर्ष में सरकार ने 3600 करोड़ रुपये के आबकारी राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया है। अब तक 451 दुकानों की नीलामी हो चुकी है। शेष दुकानों की नीलामी शीघ्र होगी।

अचंभित करने वाली है शराब को लेकर यह उत्सुकता

लॉकडाउन दो के बाद मिली छूट के दौरान राज्यभर में शराब की दुकानों से खरीदारी का नजारा सोचने पर विवश करता है। यह ठीक है कि शराब की बिक्री से राजस्व की प्राप्ति होगी, लेकिन ये सवाल भी अपनी जगह है कि क्या जीवन में शराब जरूरी है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने राज्यभर में शराब की दुकानों में खरीदारी के लिए लोगों के उमडऩे पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि शराब को लेकर लोगों की यह उत्सुकता अचंभित करने वाली है।  लिहाजा, सभी पहलुओं को देखते हुए सरकार को विचार करना चाहिए।

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने सोमवार को दोपहर में विधानसभा स्थित कार्यालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में शराब की दुकानों के बाहर के नजारे पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि वह हमेशा से शराब के विरोधी रहे हैं। उन्होंने कहा सोमवार को जब वह अपने आवास से विधानसभा स्थित कार्यालय पहुंचे तो रास्ते में दो-तीन स्थानों पर शराब की दुकानों के बाहर लगी लंबी कतारें लगी थीं।

 लोग शारीरिक दूरी के मानकों का अनुपालन करते हुए खड़े थे, मगर यह नजारा बदली परिस्थितियों में सोचनीय विषय है। उन्होंने सवाल उठाया कि कल तक तमाम लोग सरकार से, जनप्रतिनिधियों से, एनजीओ से राशन की मांग कर रहे थे। जब इन लोगों के पास राशन को पैसा नहीं था, तो अब शराब के लिए पैसा कहां से आया। यह अचंभित करने वाला है।  उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए वह सभी पहलुओं पर मंथन कर इस विषय पर विचार करे। जरूरत पड़े तो मानक भी बनाए जा सकते हैं।

वहीं, सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि केंद्र की गाइडलाइन के अनुरूप अन्य दुकानों के साथ शराब की दुकानें भी खुलीं। 40 दिन बाद लोग जरूरी वस्तुओं की खरीदारी को बाहर निकले, जिससे कुछ भीड़ भी नजर आई। एक-दो दिन में परिस्थितियां सामान्य हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से हुए नुकसान के बाद की परिस्थितियों से भी उबरने की चुनौती है। इस क्रम में आगे केंद्र की जो भी गाइडलाइन आएंगी, उसी के अनुरूप कदम उठाए जाएंगे।

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