उत्तराखण्ड

पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म के पांचों आरोपितों को मजिस्ट्रेट के समक्ष किया पेश

देहरादून। आइएसबीटी में बस के अंदर किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के मामले की विस्तृत विवेचना के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने एसआइटी गठित कर दी है। एसपी सिटी प्रमोद कुमार की देखरेख में दो सीओ, दो निरीक्षक, दो महिला दारोगा और एक फील्ड यूनिट के दारोगा को एसआइटी में शामिल किया गया है। एसआइटी पूरी घटना की जमीनी स्तर पर जांच कर रिपोर्ट तैयार करेगी।

एसआइटी दिल्ली से लेकर देहरादून तक पूरे रूट की फुटेज भी खंगालेगी। उधर, किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म के पांचों आरोपित तीन चालक, परिचालक व कैशियर को पटेलनगर कोतवाली पुलिस ने ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया, जहां से पांचों आरोपितों को जेल भेज दिया है।

आरोपितों को न्यायाधीश के समक्ष किया जाएगा पेश

मंगलवार को दोबारा आरोपितों को रेगुलर न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाएगा। आरोपितों की तरफ से कोई भी अधिवक्ता कोर्ट के समक्ष पेश नहीं हुआ। 12 अगस्त की देर रात दिल्ली से देहरादून पहुंची किशोरी के साथ आरोपितों ने आइएसबीटी में बस के अंदर सामूहिक दुष्कर्म किया था। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की काउंसलिंग के बाद 17 अगस्त को यह मामला पुलिस के पास पहुंचा।

18 अगस्त को पटेलनगर कोतवाली पुलिस ने इस मामले में आरोपित धर्मेंद्र कुमार निवासी ग्राम बंजारावाला ग्रांट, थाना बुग्गावाला (चालक), देवेंद्र निवासी चुड़ियाला, भगवानपुर हरिद्वार (परिचालक), रवि कुमार निवासी ग्राम सिला थाना नवाबगंज जिला फर्रुखाबाद (चालक), राजपाल राणा निवासी बंजारावाला ग्रांट थाना बुग्गावाला हरिद्वार (चालक) और राजेश कुमार सोनकर निवासी माजरा पटेलनगर (कैशियर) को गिरफ्तार कर लिया।

आरोपितों की ली जाएगी कस्टडी रिमांड

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि पुलिस जल्द साक्ष्यों को पुख्ता करने के लिए आरोपितों का कस्टडी रिमांड लेगी। उन्होंने बताया कि सामूहिक दुष्कर्म की घटना के प्रकरण की संवेदनशीलता व गंभीरता से विवेचना करने के लिए एसआइटी का गठन किया गया है।

एसआइटी की ओर से दिल्ली से दून तक बस चलने से लेकर बीच में ढाबा आदि में रुकने और आइएसबीटी तक की फुटेज लेने के लिए सर्विलांस टीम लगाई गई है। पूरे रूट की फुटेज मिलने पर काफी साक्ष्य हाथ लगने की संभावना है।

उन्होंने बताया कि एसआइटी में नियुक्त सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि मुकदमे के सभी पहलुओं पर गहन विवेचना कर घटना में शामिल सभी आरोपितों के विरुद्ध साक्ष्यों को एकत्र किया जाए। साथ ही साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय में भी आरोपितों के विरुद्ध ठोस पैरवी की जाए। एसएसपी स्वयं नियमित रूप से एसआइटी की ओर से की जा रही कार्रवाई की प्रतिदिन समीक्षा करेंगे।

एसआइटी में इन अधिकारियों को किया गया है शामिल

– प्रमोद कुमार, पुलिस अधीक्षक नगर एसआइटी प्रभारी

– अनिल जोशी, क्षेत्राधिकारी सदर

– रीना राठौर, क्षेत्राधिकारी प्रेम नगर

– कमल कुमार, प्रभारी निरीक्षक पटेल नगर

– शंकर सिंह बिष्ट, प्रभारी एसओजी नगर

– ज्योति कन्याल, महिला उप निरीक्षक थाना कोतवाली

– विनियता चौहान, महिला उपनिरीक्षक, कैंट कोतवाली

– आशीष कुमार, उपनिरीक्षक प्रभारी फील्ड यूनिट

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मिले पीड़िता के स्वजन

पीड़िता के स्वजन सोमवार को एसएसपी से मिले और दुष्कर्म के दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग की है। पीड़िता घर से कब निकली, अभी इसको लेकर भी संशय बना हुआ है। बताया जा रहा है कि वह सात-आठ अगस्त को घर से बैग लेकर निकली थी। इस बीच वह कहां-कहां रही, इसकी भी जानकारी नहीं मिल पाई है।

पीड़िता के पिता भी स्पष्ट तौर पर नहीं बता पा रहे हैं कि पुत्री घर से कब निकली। वहीं, पीड़िता भी बार-बार बयान बदल रही है। पुलिस की ओर से पीड़िता के मेडिकल की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। एक या दो दिन में मेडिकल रिपोर्ट आने की संभावना है। इसके अलावा पुलिस ने पीड़िता के बयान दर्ज कर लिए हैं, अब उसके मजिस्ट्रेटी बयान दर्ज होंगे।

पुलिस ने पीड़िता के कपड़े व आइएसबीटी की डीवीआर सील की

17 अगस्त को जब किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म की बात सामने आई तो पुलिस ने सबसे पहले बस में लगे कैमरे व रिकार्डिंग कब्जे में ली। हालांकि, बस में जो कैमरे लगे थे, वह बंद थे। इसके अलावा घटना वाले दिन पीड़िता ने जो कपड़े पहने थे, वह भी पुलिस ने सील कर दिए हैं। वहीं, आइएसबीटी में लगे सभी कैमरों की डीवीआर कब्जे में लेकर उसे भी सील कर दिया है। इन्हीं कैमरों में पूरी घटना कैद है। पुलिस इन साक्ष्यों को कोर्ट में पेश करेगी।

काउंसलिंग व मजिस्ट्रेटी बयानों के आधार पर होगी कार्रवाई

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पीड़िता की ओर से चाइल्ड वेलफेयर कमेटी व मजिस्ट्रेटी बयान में जो भी बात सामने आएगी, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। यदि बयानों में सामने आता है कि पीड़िता के साथ अन्य जगह भी गलत काम हुआ है तो उसकी भी जांच होगी। पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया जाएगा। इसके बाद मनोरोग विशेषज्ञ से भी उसका इलाज कराया जाएगा।

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