उत्तराखण्ड

सूचना समय पर न देने से पंचायत अधिकारी निलंबित, आयोग ने लगाया 25 हजार रुपए का जुर्माना

डीपीआरओ ऊधम सिंह नगर न किया निलंबित और सूचना आयोग ने लगाया 25 हजार रुपए का अधिकतम जुर्माना। अरविंद नगर निवासी लिखिलेश घरामी ने वर्ष 2019 से कराए गए विभिन्न कार्यों की जानकारी मांगी थी। लोक सूचना अधिकारी के रूप में तैनात ग्राम पंचायत विकास अधिकारी मीनू आर्य ने सूचना ग्राम प्रधानों के पास कथन होने की बात कहकर सालभर तक सूचना नहीं दी।

ऊधम सिंह नगर के सितारगंज विकासखंड की विभिन्न ग्राम पंचायतों के ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को सूचना पर कुंडली मारना भारी पड़ गया। सूचना आयोग के सख्त रुख को देखते हुए जिला पंचायतीराज अधिकारी (डीपीआरओ) ने ग्राम पंचायत विकास अधिकारी मीनू आर्य को निलंबित कर दिया। वहीं, जानबूझकर सूचना देने से परहेज करने पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने पंचायत विकास अधिकारी पर 25 हजार रुपए का अधिकतम जुर्माना लगा दिया।
ऊधम सिंह नगर के ग्राम अरविंद नगर निवासी लिखिलेश घरामी ने सितारगंज ब्लाक के अंतर्गत ग्राम पंचायत देवीपुरा, डियौड़ी, बिदौरा, गिधौर, खमरिया, खैराना, बलखेड़ा और सिद्धानवादिया में वर्ष 2019 से कराए गए विभिन्न कार्यों की जानकारी मांगी थी। लोक सूचना अधिकारी के रूप में तैनात ग्राम पंचायत विकास अधिकारी मीनू आर्य ने सूचना ग्राम प्रधानों के पास कथन होने की बात कहकर सालभर तक सूचना नहीं दी।
राज्य सूचना आयुक्त ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए लोक सूचना अधिकारी समेत संबंधित ग्राम प्रधानों को तलब किया था। आयोग में प्रधानों ने ही लिखित में जवाब देकर ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की कलई खोल दी। उन्होंने बताया कि समस्त जानकारी पंचायत विकास अधिकारी के पास ही है।
सुनवाई के दौरान जब यह स्पष्ट हो गया कि सूचनाएं जानबूझकर छुपाई जा रही हैं तो आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए जिला पंचायतीराज अधिकारी को भी पक्षकार बना दिया। साथ ही प्रकरण में गंभीरता से कार्रवाई के निर्देश दिए।
आयोग के रुख को देखते हुए जिले के डीपीआरओ ने पंचायत विकास अधिकारी मीनू आर्य को निलंबित कर दिया। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने पंचायत विकास अधिकारी पर 25 हजार रुपए का अधिकतम जुर्माना लगाने के साथ ही डीपीआरओ को पंचायत अधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के निर्देश भी दिए। इसके अलावा मांगी गई सूचनाओं को उपलब्ध करने के निर्देश डीपीआरओ को दिए गए और कहा गया कि यदि अभिलेख पत्रावली में नहीं पाए जाते हैं तो आयोग को सूचित किया जाए।

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