क्या आप भी अपने बच्चों को प्लास्टिक की बोतल से पिलाते हैं दूध, अगर हां, तो जान लीजिये इसके दुष्प्रभाव

आजकल अधिकांश घरों में छोटे बच्चों को दूध पिलाने के लिए प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग आम बात हो गई है। यह सुविधा तो देती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत आपके बच्चे की सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है? विशेषज्ञों की मानें तो प्लास्टिक बोतलों का नियमित उपयोग बच्चों के शारीरिक ही नहीं, मानसिक विकास को भी प्रभावित कर सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ लंबे समय से इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि शिशुओं के लिए प्लास्टिक की बोतलें सुरक्षित नहीं हैं। इनसे न केवल शरीर में माइक्रोप्लास्टिक जमा हो सकता है, बल्कि इसके कारण क्रॉनिक बीमारियों और बौद्धिक विकास में बाधा का भी खतरा रहता है।
हाल ही में एक अध्ययन में यह सामने आया है कि प्लास्टिक बोतलों में मौजूद रसायन बच्चों के आईक्यू स्तर को भी प्रभावित कर सकते हैं। अगर बोतलों की सफाई में लापरवाही बरती जाए, तो यह संक्रमण का कारण बन सकती है, जिससे शिशु की सेहत को अनेक प्रकार के नुकसान हो सकते हैं।
हानिकारक रसायनों की उपस्थिति
स्वीडन की कार्लस्टेड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कार्ल गुस्ताफ बोर्नहैग बताते हैं कि प्लास्टिक बनाने में इस्तेमाल होने वाला रसायन बिस्फेनॉल एफ बच्चों की तंत्रिका प्रणाली के विकास से जुड़े जीन पर नकारात्मक असर डाल सकता है। गर्भावस्था के दौरान इसके संपर्क में आने से बच्चों का बौद्धिक स्तर सात साल की उम्र तक घट सकता है।
माइक्रोप्लास्टिक का खतरा
गर्म पानी या धूप में रखे जाने पर प्लास्टिक की बोतल से रसायन दूध या अन्य पेय में मिल सकते हैं। इससे बच्चों के शरीर में सूक्ष्म प्लास्टिक कण और विषैले रसायन पहुंच सकते हैं, जो सेहत को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।
आईक्यू पर प्रभाव की पुष्टि
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में किए गए शोध में 100 शिशुओं पर अध्ययन किया गया, जिसमें पाया गया कि प्लास्टिक की बोतलों से दूध पीने वाले बच्चों में आगे चलकर आईक्यू स्तर में गिरावट का खतरा अधिक होता है।
संक्रमण का खतरा
इसके अलावा, अगर बोतलों की नियमित और सही तरीके से सफाई नहीं की जाती, तो उनमें हानिकारक बैक्टीरिया पनप सकते हैं। इससे शिशुओं को ई.कोलाई, साल्मोनेला और स्ट्रेप्टोकोकस जैसे संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है।
विशेषज्ञों की सलाह
डॉक्टरों और बाल स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय है कि शिशुओं को बोतल की बजाय कटोरी और चम्मच से दूध पिलाना अधिक सुरक्षित विकल्प है। केवल अत्यधिक आवश्यकता होने पर ही बोतल का प्रयोग किया जाना चाहिए।
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