उत्तराखण्ड

स्मार्ट सिटी मिशन में 575 करोड़ रुपए के कार्यों का मुख्यमंत्री ने किया शिलान्यास

दून को स्मार्ट बनाने की दिशा में एक लंबी छलांग लगाई गई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून स्मार्ट सिटी लि. कंपनी के 575.18 करोड़ रुपये के कार्यों का एक साथ शिलान्यास किया। इसके साथ ही दून में एक साथ इतनी लागत की योजनाओं की नींव रखे जाने का कीर्तिमान भी स्थापित हो गया।

रविवार को सर्वे चौक स्थित आइआरडीटी सभागार में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नौ कार्यों का शिलान्यास किया। उन्होंने दून को स्मार्ट बनाने के लिए अपनाए जा रहे स्मार्ट तरीकों पर कंपनी के सीईओ डॉ. आशीष श्रीवास्तव की पीठ थपथपाई। साथ ही उम्मीद जताई कि सभी कार्य समय पर पूरे भी कर दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की सेवाओं का उद्घाटन भी कर दिया जाएगा।

उन्होंने इस सेंटर का नाम ‘सदैव दून’ रखने की घोषणा भी की। वहीं, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कोई भी बड़ा काम शुरू करने पर कुछ परेशानी जरूर होती है, मगर जनता को धैर्य का परिचय देना चाहिए। यह सब कुछ उन्हीं की सुविधा के लिए किया जा रहा है। कार्यक्रम में प्लास्टिक वापसी अभियान के दौरान 500 किलो से अधिक प्लास्टिक जमा करने वाले विजेता स्कूल व छात्रों को पुरस्कृत किया गया। साथ ही स्वच्छ कॉलोनी अवार्ड-2019 व विशेष पार्षद का अवार्ड भी दिया गया। इस अवसर पर कैंट क्षेत्र के विधायक हरबंस कपूर, धर्मपुर क्षेत्र के विधायक विनोद चमोली, राजपुर रोड क्षेत्र के विधायक खजान दास, सहसपुर विधायक सहदेव सिंह पुंडीर, महापौर सुनील उनियाल गामा, मंडलायुक्त रविनाथ रमन, स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ डॉ. आशीष श्रीवास्तव, सचिव शहरी विकास अरविंद सिंह ²यांकी आदि उपस्थित रहे।

इन कार्यों की रखी गई नींव
  • स्मार्ट इंटीग्रेटेड ग्रीन बिल्डिंग: 204.46 करोड़ रुपये।
  • स्मार्ट रोड, वाटर सप्लाई, सीवरेज व ड्रेनेज: 190.54 करोड़ रुपये।
  • स्मार्ट वाटर मैनेजमेंट (स्काडा) सिस्टम: 56.63 करोड़ रुपये।
  • वाटर सप्लाई ऑगमेंटेशन: 32.59 करोड़ रुपये।
  • सीवरेज लाइन परियोजना: 28.41 करोड़ रुपये।
  • परेड ग्राउंड का कायाकल्प: 20.85 करोड़ रुपये।
  • स्ट्रोम वाटर ड्रेनेज: 16.27 करोड़ रुपये।
  • पलटन बाजार पैदल मार्ग विकास: 13.10 करोड़ रुपये।
  • दून लाइब्रेरी का सुदृढ़ीकरण: 12.33 करोड़ रुपये।
  • स्मार्ट वाटर मीटङ्क्षरग: 9.48 करोड़ रुपये।

इन्हें मिला प्लास्टिक वापसी अभियान पर पुरस्कार

  • पहला पुरस्कार, राजकीय इंटर कॉलेज खुड़बुड़ा।
  • द सरा पुरस्कार, राजकीय प्राथमिक विद्यालय दिलाराम बाजार।

विजेता विद्यार्थी

  • पहला पुरस्कार, सलोनी (सनातन धर्म इंटर कॉलेज राजा रोड की 10वीं की छात्रा)
  • दूसरा पुरस्कार, रोजी (बालिका इंटर कॉलेज राजपुर रोड की 10वीं की छात्रा)
  • तीसरा पुरस्कार, नेहा (सीएनआइ गल्र्स इंटर कॉलेज की 10वीं की छात्रा)

स्वच्छ कॉलोनी अवार्ड-2019

  • पहला पुरस्कार, केवल विहार
  • दूसरा पुरस्कार, आइआइपी कॉलोनी
  • तीसरा पुरस्कार, सिद्धार्थ पैराडाइज अपार्टमेंट्स

विशेष पार्षद सम्मान

  • तिलक रोड की अनीता गर्ग व डॉ. विजेंद्र पाल को यह सम्मान दिया गया।

10 दिन के भीतर धरातल पर काम होंगे शुरू

द हरादून स्मार्ट सिटी लि. कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि सभी कार्यों पर सर्वे का काम चल रहा है। 10 दिन के भीतर इन पर धरातलीय काम भी शुरू कर दिए जाएंगे। इसके बाद सभी कार्यों को पूरा करने के लिए दो से ढाई साल का समय तय किया गया है। इन कार्यों के बाद दून की पूरी दशा-दिशा बदल जाएगी।

जागरण की खबर पर मुहर, दून में नहीं चलेगी मेट्रो

वर्ष 2017 को दून ने एलआरटीएस आधारित जिस मेट्रो रेल परियोजना का ख्वाब देखा था, उस पर लंबी-चौड़ी कसरत के बाद भी प्रगति नगण्य रहने पर जागरण ने जुलाई माह में बताया था कि मेट्रो रेल परियोजना का सफर फाइलों में भी पूरा हो चुका है। अब आवास एवं शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने भी खबर पर मुहर लगा दी है कि दून के लिए मेट्रो उपयुक्त नहीं है। स्मार्ट सिटी कंपनी की परियोजनाओं के शिलान्यास कार्यक्रम में काबीना मंत्री ने कहा कि अब दून के लिए केबल कार (रोपवे) आधारित परियोजना पर काम शुरू किया जाएगा।

काबीना मंत्री के इस बयान के साथ ही वर्ष 2017 से चली आ रही कवायद पर स्वत: ही विराम लग गया है। हो सकता है कि दून के लिए केबल कार ही उपयुक्त हो और यदि ऐसा है तो फिर सवाल उठता है कि यह निर्णय पहले ही क्यों नहीं ले लिया गया। क्योंकि मेट्रो परियोजना के लिए तमाम संसाधन जोड़ लिए गए थे और इस पर पांच करोड़ रुपये से अधिक की राशि भी खर्च की जा चुकी है। एलआरटीएस आधारित मेट्रो परियोजना को लेकर उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन व दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के अधिकारियों ने जर्मनी का दौरा किया था। इसके बाद अगस्त 2018 में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में भी एक दल ने लंदन व जर्मनी का दौरा किया।
दोनों ही दलों की संस्तुति के बाद मेट्रो परियोजना में कुछ संशोधन कर उसे अंतिम रूप दिया गया था। जब मेट्रो को लेकर गतिरोध पैदा होने लगा तो शहरी विकास मंत्री की ही अध्यक्षता में एक दल हालिया विदेश दौरा कर लौटा। दल ने विदेश के विभिन्न शहरों में इस दफा केबल कार की संभावनाएं टटोली। अभी दल ने अपनी रिपोर्ट तैयार नहीं की है, मगर काबीना मंत्री के बयान ने पहले ही सरकार की मंशा को स्पष्ट कर दिया है। इसके साथ ही राज्य सरकार के समक्ष केबल कार के लिए बजट जुटाने की चुनौती भी खड़ी हो गई है। वह इसलिए कि इसका पूरा खर्च सरकार को अपने स्तर पर जुटाना होगा, जबकि मेट्रो परियोजना में 50 फीसद धनराशि केंद्र सरकार से प्राप्त होती।

मेट्रो परियोजना शुरुआत से खाती रही हिचकोले

  • दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक (एमडी) पद से रिटायर होने के बाद जितेंद्र त्यागी ने राज्य सरकार के आग्रह पर फरवरी 2017 में नवगठित उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक का पद्भार ग्रहण किया।
  • परियोजना की डीपीआर तैयार होने के कई माह तक कुछ भी काम न होने पर सितंबर 2017 में जितेंद्र त्यागी ने एमडी पद से इस्तीफा दे दिया था।
  • सरकार ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया और जितेंद्र त्यागी से आग्रह करने बाद उन्होंने इस्तीफा वापस लिया।
  • इसके बाद सरकार ने 75 करोड़ रुपये का प्रारंभिक बजट भी मेट्रो के लिए जारी कर दिया। हालांकि यह बजट सिर्फ वेतन-भत्तों व छोटे-मोटे कार्यों के लिए ही था।
  • परियोजना को लेकर दून के कॉरीडोर पर अलग-अलग बार संशोधन भी किए जाते रहे और फिर भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई।

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