भ्रष्टाचारियों पर कब लगेगी अंकुश?
उत्तराखण्ड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम के सस्पैंड अधिशासी अभियंता के घोटालें हैं करोड़ों में
कई पंपिंग योजनाओं में किये गये घोटालों को लेकर विवादों में रहे सुजीत कुमार विकास
मानदेव क्षेत्री
देहरादून। राज्य उत्तराखण्ड में भ्रष्ट अफसरों की कमी नहीं है। सूबे के पेयजल निगम से सस्पैंड चल रहे अधिशासी अभियंता सुजीत कुमार विकास की सम्पत्तियां इतनी बताई जा रही है कि जिसकी जांच ईडी और सीबीआई से हो जाए तो पूरे देश में टॉप-10 में आजायेंगे। सुजीत कुमार विकास ने वर्ष 2005 में उत्तराखण्ड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम पर सहायक अभियंता के पद पर कार्यभार ग्रहण किया था। बताया जा रहा है कि विभाग में सहायक अभियंता तथा अधिशासी अभियंता के पद पर रहते हुए विभाग के बड़े-बड़े तकनीकी कार्य का जिम्मा सुजीत कुमार विकास को मिला हुआ था, जिसका फायदा इनको पहुंचना लाजमी है।
बताया जा रहा है कि सुजीत कुमार विकास द्वारा घनसाली में सहायक अभियंता के पद पर रहते हुए टिहरी क्षेत्रा के तीन प्रमुख पंपिंग पेयजल योजनाएं- (1) राजा खेत पंपिंग पेयजल योजना (2) प्रतापनगर पंपिंग पेयल योजना एवं (3) कोशियार पंपिंग पेयजल योजना निर्माण कार्य प्रारंभ करवाया गया था। सूत्रों से पता चला है कि इन पेयजल योजनाओं में सुजीत कुमार विकास ने खूब भ्रष्टाचार किया। इसके बाद बड़े भ्रष्टाचार को देखते हुए सुजीत कुमार विकास को पुरोडि स्थानांतरण किया गया था। जहां पर उन्होंने 48 रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक बनाया गया। उसके बाद भ्रष्टाचारी सुजीत कुमार विकास को पदोनत्ती करते हुए अधिशासी अभियंता का प्रभार सौंपा तथा रूद्रप्रयाग जिला निर्माण शाखा भेजा गया। बताया जा रहा है कि इस शाखा में स्वैप कार्यक्रम के अंतर्गत रु.636 लाख खर्च नहीं हो पा रहे थे तथा अन्य कई योजनाएं आधी-अधूरी रह गई थीं। सूत्रों के माने तो इन सभी योजनाओं में भ्रष्टाचारी अधिकारी सुजीत कुमार विकास को मोटी रकम भ्रष्टाचार करने को मिला। बताया जा रहा है कि उक्त जनपद में तीन साल के कार्यकाल में खूब लूट-खोसटी की गई। सूत्रों के अनुसार स्वैप के अंतर्गत रूकी हुई धनराशि को गैरकानूनी रूप से खर्च किया गया। बताया जा रहा है कि यहां तल्ला नागपुर पंपिंग पेयजल योजना का गठित कर मोटी रकम अंदर करने को मौका मिला। बताया जा रहा है कि इसके बाद सुजीत कुमार विकास को तत्कालीन पेयजल मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी का गृह क्षेत्र देवप्रयाग में तैनात किया गया। सूत्रों के अनुसार देवप्रयाग में मात्रा डेढ़ साल के कार्यकाल में पांच पंपिंग योजना का गठित किया था तथा योजनाएं स्वीकृत कराकर, कार्य प्रारंभ कराया गया। सूत्रों के माने तो इन योजनाओं से भी उनको मोटी धनरशि कमिशन के रूप में मिला। इसके बाद सुजीत कुमार विकास को देहरादून शाखा में स्थानांतरण किया गया। मिली जानकारी के अनुसार देहरादून में सुजीत कुमार विकास द्वारा अमृत एवं अन्य कार्यक्रम में लगभग 248 करोड़ का कार्य सृजित कर लिया गया है। सूत्रों के अनुसार इस समय पूरे उत्तराखण्ड में से देहरादून अमृत कार्यक्रम में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ। बताया जा रहा है कि इन सभी भ्रष्टाचार पर सुजीत कुमार विकास का ही हाथ रहा। तब तक सुजीत कुमार विकास बहुत बड़े भ्रष्टाचारी के रूप उनका नाम प्रकाश में आ चुका था।
वर्तमान में सुजीत कुमार विकास का हाउसिंग एट सहस्त्रधारा नाम से प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है। बताया जा रहा है कि सुजीत कुमार विकास के एक अन्य प्रोजेक्ट चल रहा है जो झाझरा स्थित है, जिसमें 55 बीघा जमीन पर चल रहे हाउसिंग योजना है। मिली जानकारी के अनुसार 55 बीघा में से 29 बीघा जमीन सुजीत कुमार विकास के नाम पर अंकित है। इसके अलावा राजपुर रोड़ पर उनकी श्रीमती के नाम से अंकित जमीन पर करोड़ों रूपये का फार्महाउस व रिर्जोट बना हुआ है, जिसमें 14 बड़े हॉल बने हुए है। बताया जा रहा है कि यह जमीन के कुछ हिस्से देहरादून नगर निगम के है तथा सुजीत कुमार विकास द्वारा अवैध रूप से निगम की जमीन पर कब्जा कर रखा है। इस फार्महाउस व रिर्जोट पर प्रशासन ने वर्तमान में सील कर रखा है। सूत्रों के माने तो उक्त फार्महाउस व रिर्जोट से सटा हुआ एक और करोडों की जीमन है जो सुजीत कुमार विकास ने अपने भाई के नाम में खरीद रखी है। सूत्रों से पता चला है कि देहरादून में सुजीत कुमार विकास के शिमला बाईपास, हरिद्वार रोड, जाखन, राजपुर रोड, सहस्त्रधारा रोड, रायपुर रोड, चकराता रोड, प्रेमनगर आदि स्थानों पर बेनामी सम्पत्तियां है। यदि इस भ्रष्टाचार पर ईडी और सीबीआई से जांच हुई तो इन स्वामियों पर पूछताछ होगी तथा उक्त स्वामियों ने सुजीत कुमार विकास के नाम लेने से कोई नहीं चुकेंगें।