पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा कानून लागू किए जाने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया
पंजाब विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र शुरू हो गया है। इस विशेष सत्र में अन्य मुद्दों पर चर्चा के अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा कानून लागू करने के विरोध में प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियमों को लागू करना पंजाब पुनर्गठन एक्ट का उल्लंंघन है। इसलिए केंद्र सरकार इस आदेश को तुरंत वापस ले। भगवंत मान ने बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंंधन बोर्ड) में पहले वाली स्थिति बहाल करने की मांग का भी प्रस्ताव पेश किया।
बीबीएमबी में भी पहले वाली स्थिति बहाल करने के लिए भी प्रस्ताव पेश किया गया
चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा कानून लागू करने के खिलाफ पेश प्रस्ताव पर चर्चा जारी है। कांग्रेस के विधायकों ने भी भगवंत मान द्वारा पेश प्रस्ताव का समर्थन किया है। कांग्रेस के सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा कि केंंद्र सरकार का यह कदम गलत है और पंजाब सरकार इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे। सभी इस पर एकजुट होकर संघर्ष करें।
प्रताप सिंह बाजवा और वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा में हुई तीखी बहस
विधानसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह बाजवा ने राज्य के वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा की बात का विरोध किया। चीमा ने पिछली सरकार पर हमला किया था और कहा कि किसी कांग्रेस सांसद ने भी पंजाब के मुद्दों को नहीं उठाया । इस पर सदन में शोर शराबा हो गया। वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने सीएम भगवंत मान द्वारा पेश प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब की बाजू मरोड़ने के लिए आरडीएफ बंद कर दिया है। पूर्व की पंजाब सरकारों ने केंद्र को यह मौका दिया था क्योंकि उन्होंने आरडीएफ का सही उपयोग नहीं किया।
उन्होंने कहा भगवंत मान लोकसभा में भी एक मात्र ऐसे सांसद थे जो पंजाब के मुद्दों को उठाते रहे हैं जबकि किसी भी अन्य सांसद ने कभी भी पंजाब के मुद्दों को नहीं उठाया। इस पर प्रताप सिंह बाजवा ने उनका विरोध करते हुए कहा कि गलत बयान न करें। इस पर दोनों में तीखी बहस बाजी भी हुई। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी बीच बचाव किया।
बाद में पंजाब विधानसभा में यूटी चंडीगढ में केंद्रीय कानून लागू करने के खिलाफ आए सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह बाजवा ने काफी तीखी भाषा में हुए प्रस्ताव का समर्थन किया । उन्होंने कहा कि पूरे देश में पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ही अल्पसंख्यक समुदाय का शासन है इसलिए केंद्र सरकार बार-बार इन दोनों राज्यों के अधिकारों को छीनने का प्रयास करती है ।
उन्होंने कहा कि क्योंकि इन चुनाव में केंद्र सरकार की पार्टी को लोगों ने वोट नहीं दिया, इसलिए बदला लेने की भावना से यह कदम उठाया गया है। बाजवा ने भगवंत मान सरकार से आग्रह किया कि केंद्र सरकार की इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट दरवाजा खटखटाया जाए और साथ ही सभी पार्टियों को साथ लेकर केंद्र सरकार को बताया दिया जाए कि पंजाबियों से पंगा लेना ठीक नहीं ।
उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों के बारे में भी ऐसा ही कहा जा रहा था ये वापस नहीं दिए जा सकते लेकिन पंजाब और हरियाणा के किसानों ने दिल्ली के सीमाओं को बंद करके साबित कर दिया कि ऐसा किया जा सकता है। बाजवा ने सभी राजनीतिक पार्टियों से एकजुट होकर केंद्र के इस फैसले का विरोध करने का आग्रह किया ।
भगवंत मान ने कहा- चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा कानून तुरंत वापस ले केंद्र सरकार
इसके साथ ही सदन अन्य प्रस्तावों पर भी चर्चा होने की संभावना है। इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सबसे पहले राणा गुरजीत सिंह और उनके बेटे राणा इंद्र प्रताप सिंह ने विधायक के तौर पर शपथ ली। स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने उन्हें पद की शपथ दिलाई।
इसके बाद विधानसभा में चंडीगढ़ में लागू किए गए केंद्रीय सेवा कानूनों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। पंजाब विधानसभा सत्र चंडीगढ़ और बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) में पहले वाली स्थिति बहाल करने संबंधी प्रस्ताव मुख्यमंत्री द्वारा पेश किया गया। पंजाब विधानसभा की आज विशेष बैठक में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ यूटी और बीबीएमबी में पूर्व स्थिति बहाल करने संबंधी प्रस्ताव पेश किया है।
अपने प्रस्ताव में मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब, रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1966 के दौरान नया बनाया गया था, जिसमें से हरियाणा और पंजाब का कुछ हिस्सा हिमाचल को दिया गया। वहीं पर चंडीगढ़ यूटी के रूप में स्थापित किया गया, तब से लेकर अब तक बीबीएमबी जैसे संयुक्त एसेट को चलाए रखने के लिए पंजाब और हरियाणा से अनुपात के आधार पर कर्मचारियों को रखकर उनकी मैनेजमेंट चलाई जा रही थी।
उन्होंने कहा कि भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड भी उनमें से एक है, लेकिन पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार इस बैलेंस को अपसेट करने कोशिश कर रही है। हाल ही में केंद्र सरकार ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में इसके सदस्यों को रखने के लिए विज्ञापन दिया है। इसमें पूरे देश से कहीं से भी इन्हें रखा जा सकता है, जबकि पहले यह पंजाब और हरियाणा से ही भरी जाती रही हैं।
उन्होंने कहा कि इसी तरह यूटी चंडीगढ प्रशासन में भी पंजाब से 60 फ़ीसदी और हरियाणा से 40 फ़ीसदी कर्मचारियों के आधार पर ही उनकी नियुक्ति की जा रही थी, लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में अफसरों की तैनाती बाहर से करनी शुरू कर दी है और सेंट्रल सिविल सर्विसेज रूल्स भी लागू कर दिए हैं जो की पूरी तरह से पंजाब पुनर्गठन एक्ट का उल्लंघन है।
प्रस्ताव में कहा गया कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी के रूप में बसाया गया था अब तक की परंपराओं के अनुसार जब भी किसी राज्य का विभाजन होता है तो पैरंट स्टेट के पास ही राजधानी रहती है। इसीलिए पंजाब लंबे समय से चंडीगढ़ को पंजाब को स्थानांतरित करने की मांग करता आ रहा है।
उन्होंने कहा कि पहले भी पंजाब विधानसभा में कई बार इस तरह की प्रस्ताव पेश किए गए हैं कि जो पंजाब की राजधानी है उसे स्थानांतरित किया जाए। पंजाब के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए और इस क्षेत्र में सौहार्द बनाए रखने के लिए यह सदन एक बार फिर से मांग करता है कि चंडीगढ़ पंजाब को तुरंत दिया जाए और साथ ही हाउस यह भी आग्रह करता है कि संघवाद के सिद्धांतों का पालन करते हुए चंडीगढ़ और बीबीएमबी में पहले की तरह कर्मचारी पंजाब और हरियाणा से ही लिए जाएं।
इससे पहले, कांग्रेस के सुखपाल सिंंह खैहरा ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब ने बनाया। चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा कानून लागू करने का केंद्र सरकार का फैसला गलत है और यह फैसला एकतरफा है। स्पेशल सत्र बुलाने का पंजाब सरकार का स्वागत करते है। इसके साथ खैहरा ने कहा कि पंजाब में आप के वर्कर्स गुंंडागर्दी कर रहे हैं। जेतो मामले में एफआईआर हो। सरकार बिजली की ग्रारंटी पूरी नहीं कर पाई है।
राणा गुरजीत सिंह और उनके बेटे राणा इंद्र प्रताप को विधायक के तौर पर शपथ दिलाई गई
इससे पहले विधानसभा का सत्र सुबह दस बजे शुरू हुआ। इसमें पूर्व विधायक अजीत सिंह शांत को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसके बाद कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत और सुल्तानपुर लोधी के विधायक राणा इंद्र प्रताप सिंह को विधायक पद की शपथ दिलाई गई। राणा गुरजीत के भाई का निधन होने के कारण वह विधायक पद की शपथ नहीं ले सके थे।
फिर केंद्र के फैसले के विरोध में पंजाब सरकार, पहले बीएसएफ का क्षेत्राधिकार बढ़ाने का किया था विरोध
इससे पहले पिछली सरकार में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर करने के विरोध में लेकर विशेष सत्र बुलाया गया था। अब पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार के चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा कानूून लागू करने के खिलाफ खड़ी है।
पंजाब में अब कांग्रेस की जगह आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार बन गई है, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री के केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) चंडीगढ़ में कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सेवा नियम लागू करने के एलान के बाद आप सरकार ने विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री ने चंडीगढ़ दौरे पर यूटी में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए पंजाब सेवा नियमों के बजाय केंद्रीय सेवा नियम लागू करने का एलान किया था। दो दिन बाद ही केंद्र सरकार ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी। इसका पंजाब की सभी राजनीतिक पार्टियों ने विरोध किया था।
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की सांसद हरसिमरत कौर बादल यह मामला लोकसभा में उठा चुकी हैं। उनका कहना है कि इससे पंजाब का चंडीगढ़ पर दावा कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने इससे पहले भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में मेंबर पावर की नियुक्ति पंजाब से न किए जाने का मामला भी उठाया था।
टीवी पर लाइव होगी सदन की कार्यवाही
विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने कहा है कि विधानसभा की कार्यवाही टीवी पर लाइव हो रही है। मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों विधानसभा में कहा था कि वह इस बात का प्रयास करेंगे कि विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाए, जिस तरह लोकसभा व राज्यसभा में होता है।